My First Blog
काफी समय से blog लिखने का सोच रही थी, पर जब भी कुछ लिखने बैठती तो लगता कि नहीं, मेरा पहला blog कुछ अलग होना चाहिए, कुछ ऐसा मुझे हमेशा याद रहे। फिर ख्याल आया कि कुछ माँ-पापा या परिवार पे लिख उनको समर्पित करूँ परन्तु अगले ही पल सोचा कि माँ-पापा को समर्पण करने लायक कुछ लिखना अभी मेरे लिए संभव नहीं। इसलिए अपने blog की शुरुआत उन जवानों के नाम, भारत माता के रक्षकों के नाम कर रही हूँ जो अपने परिवार से दूर पहले अपने देश के लिए जी रहे हैं; असल में हर पल मौत का सामना कर रहे हैं ताकि हम जैसे लोग; जिनका उनसे खून का रिश्ता नहीं, बल्कि रिश्ता है धरती माँ का; सर उठा के जी सकें, चैन की नींद सो सकें।
उठो मेरे देश के नवयुवको,
आज फिर से तिरंगा लहरायें।
है लड़ रहे हमारे लिए जो सरहदों पर,
उनके उद्देश्य को सफल बनाएं।
बहाकर कतरा-कतरा भी जो खून का दुश्मन को खदेड़ दें,
उनकी बहादुरी को सलाम लगायें।
उठो.….
आज फिर देश को ज़रूरत है भगत सिंह जैसे शूरवीरों की,
तो चलो हथियार उठाएं, दुर्गा भाभी* के देवर बन जायें।
आज फिर देश को ज़रूरत है गांधीजी जैसे पथ-प्रदर्शक की,
तो चलो लाठी उठाएं, सत्याग्रह को आवाज़ लगायें।
उठो.…….
हैं उठा रहे जो आज माओं बहनों के आँचल,
उन्हें संविधान की ताकत बताएं।
हैं समझते जो आज भी नारी को तुच्छ,
उन्हें नारी शक्ति समझाएं, भारत माँ की लाज बचाएँ।
उठो.…
चंद रुपयों के लिए जो बेच देते हैं धर्म, ईमान और जज़्बात,
उन्हें भारतीय दिलों में जलती लौ दिखाएं।
एक दुर्गा* को 41 मिनटों में रास्ते से हटाने वालों को,
हजारों दुर्गा बन के दिखाएं।
उठो.……
स्कूल की प्रार्थना सभा में कभी जन-गण- मन गाया करते थे,
उन्हीं शब्दों को आज फिर दोहराएं।
डॉक्टर बनेंगे, इंजीनियर बनेंगे, वकील बनेंगे, देश को आगे ले के जायेंगे,
पर भ्रष्ट नहीं, पूरी ईमानदारी से, ये शपथ उठाएं।
उठो.……
note: 1. दूसरे अनुच्छेद में दुर्गा भाभी का व्याख्यान किया गया है- दुर्गा भाभी स्वतंत्रता सेनानी भगवती चरण वोहरा की पत्नी थी। देश के हालातों को देखते हुए उन्होंने कहा था कि अब भगवान् को अवतार ले लेना चहिये। इस बात पर भगत सिंह ने जवाब दिया था कि जब तक दुर्गा भाभी के देवर जिंदा हैं, भगवान् को धरती पे आने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
2. चौथे अनुच्छेद में जिस दुर्गा की बात की गयी है, वो हमारी आईएस अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल हैं।